वो सुनते नहीं मैं कहती जाती हूँ
बस कहने की धुन में रहती जाती हूँ
जो बंधन बेड़ियोँ को तरह जकड़ते है मुझे
तोड़ती हूँ उन्हें, और बदनामी सहती जाती हूँ
हाँ मैं हंसती हूँ तो लगता है कोई आतंक छाया है
लिपस्टिक का गहरा लाल रंग मुझे मेरे ही लिए भाया है
देर रात की सैर पर जाना और रेड़ी पर आइस क्रीम खाना
क्यों सब ने मेरे शौक पर इतना बवाल मचाया है
वो जो अलमारी में कशीदे वाली शाल के पीछे बैकलेस ड्रेस धरी है
हाँ वही जिसे ना पहनने के सुझाव में सबने भी हामी भरी है
वो बस एक कपडे का टुकड़ा है, मेरी आज़ादी की चाबी नहीं
थोड़ी सी रिवीलिंग ड्रेस है बस, मेरे करैक्टर की खराबी नहीं
ये कोई क्यो नहीं बताता के मुझपे ये सवाल उठाया क्यों
नजरे नीची हो, हल्के बोलना है, जल्दी उठना है
ये सारे नियम कहीं लिखे है क्या, ये सब मन मे आया क्यों
ऊँचा बोलना मुझपे, लगता उन्हें अपना अधिकार कैसे
सुझाव देना ठीक है, पर मेरा इनकार उनका अपमान कैसे
मैं चुप हूँ तो संस्कारी, और बोल उठी तो बदतमीज
समाज को ये सारे बेसिरपैर के नियम है बड़े अजीज़
कहते है! सजो धजो औऱ पुतले सी कोने में बैठ जाओ
अरे भाई नॉर्मल लड़की हूँ या कोई सजावट की चीज
पर खैर!
वो सुनते तो नहीं है..पर मैं कहती जाती हूँ,
फिर अपनी ही धुन में रहती जाती हूँ..।
Beautifull!!
LikeLike