संगिनी

क़दम क़दम पे तुम्हारी ज़िन्दगी के

मैं साथ साथ चलती रहूंगी

अहसास तुम्हारे पास होने का

मैं हरदम करती रहूंगी..

तुम्हारी हर आह पे मेरा दिल वेदना करेगा

तुम्हारी हर वाह पे मेरा दिल नाज़ करेगा

तुम हो हर पल मेरे पास, मैं यही सोचती रहूँगी

क़दम क़दम पे तुम्हारी ज़िन्दगी के

 मैं साथ साथ चलती रहूँगी..

तुम्हारी हर सांस में मेरा ही संदेश, 

तुम्हे नज़र आएगा

जियोगे जिस तरह से तुम जीवन, 

वैसा ही मेरा बन जायेगा

तम हो मेरी हर एक बात, 

मैं तुम्हे बोलती रहूँगी

क़दम क़दम पे तुम्हारी ज़िन्दगी के 

मैं साथ साथ चलती रहूँगी..

बनकर झोंका मैं हवा का

 हर पल तुम्हे छूकर गुजरूंगी,

बनकर तुम्हारे लहू की बूंद, 

हर क्षण तुम्हारे दिल से बहूँगी..

दूर चाहे जितना हो लो, 

मैं तुम्हारा साया बन जिऊंगी

क़दम क़दम पे तुम्हारी ज़िन्दगी के

मैं साथ साथ चलती रहूँगी..

2 thoughts on “संगिनी”

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